जहाँ हर कण में राधा रानी की भक्ति बसती है
मेरा नाम चित्रांशु शर्मा है मेरा जन्म ब्रज की पावन भूमि श्री राधा रानी जी की जन्मस्थली, बरसाना में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन से संतों की छाया में पला-बढ़ा, जिससे भक्ति, सेवा और ब्रज की महिमा को समझने का सौभाग्य मिला। वर्तमान में मैं श्री जी के चरणों में, वर्तमान में मैं श्रीजी की चरण-शरण में, बरसाना धाम में निवास कर रहा हूँ। मेरा जीवन उद्देश्य है – श्रीराधा रानी की निरंतर सेवा, ब्रजमंडल की दिव्यता का प्रचार-प्रसार, और भक्तजनों ब्रज की महिमा एवं दर्शन में सहायता करना, जिससे वे ब्रज की रसभरी लीलाओं का अनुभव कर सकें।"
बरसाना कोई साधारण भूमि नहीं, यह वह धाम है जहाँ स्वयं श्री जी का प्राकट्य (अवतरण ) इस भूमि पर हुआ | ऐश्वर्य को भूलकर स्वयं श्री कृष्णा अपनी प्राण प्रिय राधा जी के सेवक बन उसकी भक्ति करते है उनके दर्शन के लिए उनसे प्र्थना करते है । यहाँ की हवा, मिट्टी और हर स्थल में श्रीराधा का प्रेम झलकता है
राजा वृषभानु की नगरी, 'वृषभानुपुर', जहाँ राधारानी ने अपनी सखिओ के साथ बाल्यकाल की लीलाएँ रचीं। गह्वरवन, रंगीली गली, मोर कुटी — ये सब राधा के हृदय की प्रतिछाया हैं। बरसाना में श्रीकृष्ण भी ईश्वर नहीं, केवल राधा के सेवक बनते हैं।
जहा साक्ष्यात शंकर, ब्रह्मा ,शेष जैसे देवता भी यहाँ वास की इच्छा रखते हैं। और स्वयं श्री कृष्ण सखी रूप धारण करते हैं
"बरसाने के वास को आस करें शिव शेष,
ह्याँ की महिमा को कहे जहाँ कृष्ण धरे सखि वेश।"
बरसाना — जहाँ प्रेम ही परमात्मा है और राधा ही उसका स्वरूप।
श्री राधा रानी के प्राकट्य दिवस का आनंदोत्सव
राधाष्टमी, राधारानी के प्राकट्य का पावन उत्सव, प्रतिवर्ष बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस वर्ष रविवार, 31 अगस्त को यह महोत्सव अति भव्य रूप में मनाया जाएगा।
राधाष्टमी के दिन श्री लाड़ली लाल महाराज मंदिर, बरसाना में राधारानी का अभिषेक होता है और सभी भक्तों को उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
हजारों श्रद्धालु बरसाना पहुँचकर राधारानी के अद्भुत एवं अलौकिक दर्शन करते हैं। पूरे बरसाना के मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।
भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय एवं रसपूर्ण हो जाता है, और सम्पूर्ण ब्रजभूमि राधामय हो उठती है।